समितियों को व्यवस्थित करने एवं इनके सम्बन्ध में कानून बनाने के ध्येय से ही वर्ष 1860 में सोसाइटी रजिस्ट्रेशन ऐक्ट 1860'' बनाया गया था। उक्त अधिनियम पारित होने के बाद केन्द्रीय ऐक्ट होने के कारण समितियों के पंजीकरण के कार्य हेतु केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत स्थापित कार्यालय रजिस्ट्रार ज्वाइन्ट स्टाफ कम्पनीज उ0प्र0'' को प्राधिकृत किया गया था। इस ऐक्ट के अन्तर्गत, रजिस्ट्रार के अधिकार तथा इसको क्रियान्वयन हेतु रजिस्ट्रार ज्वाइन्ट स्टाफ कम्पनी को अधिकृत किया गया शासन के पत्र संख्या 1687 एम/XX-58 दिनांक 21 जुलाई, 1958 द्वारा रजिस्ट्रार फर्म्स, सोसाइटीज के विभाग को शासन के वित्त ( आडिट तथा सेल्स टैक्स) विभाग के अधीन किया गया । शासन के पत्र संख्या-आडिट-6600/दस-603(1)/61 वित्त (लेखा परीक्षा) अनुभाग दिनांक 16 दिसम्बर, 1975 के द्वारा निर्णय लिया गया कि रजिस्ट्रार फर्म्स, सोसासइटीज उ0प्र0 के पद पर पी0सी0एस0 स्पेशल ग्रेड के अधियुक्ति की जाय। तद्नुसार उक्त पद पर पी0सी0एस0 अधिकारी कार्यरत है। इसी मध्य सोसाइटी रजिस्ट्रेशन ऐक्ट 1860 में वर्ष 1975 में संशोधन किये गये। यह संशोधन उ0प्र0 संशोधन, 1975 के रूप में किये गये। उ0प्र0 सोसाइटी रजिस्ट्रेशन रूल्स 1976 भी बनाया गया। उ0प्र0 चिट ऐक्ट 1975 को समाप्त करके उसके स्थान पर चिट फण्ड अधिनियम 1982 बनाया गया जो कि एक केन्द्रीय ऐक्ट है। इस अधिनियम हेतु चिट फण्ड नियमावली 1988 बनायी गयी है।
रजिस्ट्रार फर्म्स, सोसाइटीज तथा चिट्स उ0प्र0'' कार्यालय के द्वारा निम्न अधिनियमों के क्रियान्वयन का कार्य होता है :
1. सोसाइटी रजिस्ट्रेशन ऐक्ट 1860
2. भारतीय भागीदारी अधिनियम 1932
3. चिट फण्ड अधिनियम 1982
4. दि प्राइज चिट एवं मनीसर्कुलेशन (बैनिंग) ऐक्ट 1978